जब कांच चटक जाता है, तो उसमें छोटे-छोटे दरारें (Cracks) और असमान सतहें बन जाती हैं। इन दरारों में हवा भर जाती है, जिससे कांच और हवा के बीच अपवर्तनांक (Refractive Index) में बड़ा अंतर आ जाता है।
कैसे होता है पूर्ण आंतरिक परावर्तन?
1. जब प्रकाश कांच के भीतर से चलता है, तो वह इन दरारों से टकराता है।
2. चूंकि कांच का अपवर्तनांक हवा की तुलना में अधिक होता है, तो जब प्रकाश एक दरार से टकराकर हवा में जाने की कोशिश करता है, तो कुछ प्रकाश पूरी तरह परावर्तित होकर कांच के अंदर ही वापस आ जाता है।
3. यह पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहलाता है।
4. इस प्रक्रिया के कारण दरारें अधिक चमकदार और चटकीली दिखाई देती हैं।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं?
(A) परावर्तन (Reflection): केवल सतह से टकराने पर प्रकाश वापस आता है, लेकिन चटकीले प्रभाव के लिए पूर्ण आंतरिक परावर्तन ज़रूरी है।
(C) अपवर्तन (Refraction): अपवर्तन में प्रकाश केवल दिशा बदलता है, लेकिन चमकदार प्रभाव नहीं देता।
(D) व्यतिकरण (Interference): यह तब होता है जब दो प्रकाश तरंगें मिलकर नया पैटर्न बनाती हैं, जैसे साबुन के बुलबुले में रंगीन धारियाँ।
निष्कर्ष:
चटका हुआ कांच पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण चटकीला प्रतीत होता है।
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