मृग मरीचिका (Mirage) एक प्रकाशीय भ्रम (Optical Illusion) है, जो रेगिस्तान या गर्म सड़कों पर पानी जैसी सतह के रूप में दिखाई देती है। यह घटना पूर्ण आंतरिक परावर्तन (TIR) के कारण होती है।
मृग मरीचिका कैसे बनती है?
1. जब किसी रेगिस्तानी क्षेत्र या गर्म सड़क पर सूर्य की गर्मी के कारण सतह के पास की हवा बहुत गर्म हो जाती है, जबकि ऊपरी हवा ठंडी रहती है।
2. ठंडी हवा का अपवर्तनांक (Refractive Index, ) गर्म हवा की तुलना में अधिक होता है।
3. जब प्रकाश किसी ऊपरी ठंडी परत से गर्म हवा की ओर बढ़ता है, तो वह लगातार नीचे की ओर मुड़ता (अपवर्तित होता) रहता है।
4. जब आपतन कोण (Angle of Incidence) किसी निश्चित क्रांतिक कोण (Critical Angle) से अधिक हो जाता है, तो प्रकाश पूर्ण आंतरिक परावर्तन का शिकार हो जाता है और वापस ऊपर की ओर लौटता है।
5. हमारी आँखें इस परावर्तित प्रकाश की सीधी रेखा में व्याख्या करती हैं, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि वहाँ पानी है, जबकि वास्तव में वहाँ कुछ नहीं होता।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं?
(A) विवर्तन (Diffraction): यह तब होता है जब प्रकाश किसी संकीर्ण छिद्र या किनारे से गुजरते समय मुड़ता है, लेकिन मृग मरीचिका इससे नहीं बनती।
(B) ध्रुवीकरण (Polarization): यह तब होता है जब प्रकाश की कंपन दिशा नियंत्रित होती है, लेकिन मृग मरीचिका से इसका कोई संबंध नहीं है।
(D) व्यतिकरण (Interference): जब दो प्रकाश तरंगें मिलकर नया पैटर्न बनाती हैं, लेकिन मृग मरीचिका इस प्रभाव से नहीं बनती।
निष्कर्ष:
मृग मरीचिका (Mirage) पूर्ण आंतरिक परावर्तन (TIR) के कारण होती है, जब प्रकाश ठंडी हवा से गर्म हवा में जाते समय पूरी तरह परावर्तित होकर हमारी आँखों तक पहुँचता है।
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