सती प्रथा में पति की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी को ज़बरदस्ती चिता में जला दिया जाता था।
समाज सुधारकों जैसे राजा राममोहन राय ने इस अमानवीय प्रथा के खिलाफ आवाज़ उठाई।
लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने 4 दिसंबर, 1829 को सती प्रथा को गैरकानूनी घोषित करने वाला कानून पास किया।
इस कानून के अनुसार, सती प्रथा में शामिल किसी भी व्यक्ति को हत्या का दोषी माना जाएगा और कड़ी सजा दी जाएगी।
महत्व:
यह कानून भारत में ब्रिटिश शासन द्वारा किए गए प्रमुख सामाजिक सुधारों में से एक था, जिसने महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया।
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