यजुर्वेद वह वेद है जो आंशिक रूप से गद्य (Prose) और पद्य (Poetry) दोनों में रचित है।
यह वेद यज्ञों और अनुष्ठानों में प्रयुक्त होने वाले मंत्रों और विधियों का संग्रह है।
यह दो भागों में विभाजित है:
1. कृष्ण यजुर्वेद – इसमें गद्य और पद्य मिश्रित रूप में हैं।
2. शुक्ल यजुर्वेद – इसमें मंत्र सुव्यवस्थित रूप में संकलित हैं।
महत्व:
यजुर्वेद को यज्ञों और कर्मकांडों का वेद कहा जाता है। इसमें पुरोहितों द्वारा किए जाने वाले अनुष्ठानों के लिए निर्देश दिए गए हैं, जो वैदिक काल की धार्मिक परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा थे।
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